ए वक़्त बता ज़रा, मुट्ठी में तेरी मेरे लिए क्या है


ए वक़्त बता ज़रा, मुट्ठी में तेरी मेरे लिए क्या है

बेहिसाब दर्दों का हिसाब, कितना देना है बाकी
इस लिए दुआ नहीं करता, कि मेरे दर्द तूँ औड़ ले

नाज़ुक सी चीज़ है तूँ, अभी तेरा पत्थर होना है बाकी
अब अपनी सी लगती हैं यह सौगातें, सहने दे मुझको

बस सिर्फ इतना बता दे, कि अब कितनी बची है बाकी
रिश्वत तूँ लेता नहीं, और देने की मेरी भी औकात नहीं

एक यही तो लिहाज़ है बचा, जिसका बिखरना है बाकी
चुका रहा अपने ही कर्मों का हिसाब, यह जानता हूँ मैं

जाने कितने जनम इनमें निपट गए और कितने हैं बाकी
सह ना पायेगा तूँ, यह सुलगते बंजर से लम्हे मेरे

जिस्म अरमान जलें है मेरे, रूह का जलना है बाकी
रिसते ज़ख़्म बचपन से गले ऐसे मिले, सूखते ही नहीं

सब तो लुटा दिया, बस रसम-ए-मौत है बाकी

ए वक़्त बता ज़रा, मुट्ठी में तेरी मेरे लिए क्या है ए वक़्त बता ज़रा, मुट्ठी में तेरी मेरे लिए क्या है Reviewed by Admin on August 11, 2018 Rating: 5

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