तेरी याद का मंज़र भी अजीब है…
दूर हो कर भी तू मेरे कितना करीब है…
तेरी मोहब्बत तो मिल गयी इसी में खुश हूँ मैं…
तेरा मिलना ना मिलना ये तो सब नसीब है…
वो इतराता होगा तुझे मुझसे छीन कर…
मगर उसे क्या पता जीत कर भी हार गया मेरा रक़ीब है…
दौलत का क्या आज तेरी तो कल किसी और की होगी…
जिसके पास प्यार की दौलत नहीं वो सबसे बड़ा गरीब है….
तेरी याद का मंज़र भी अजीब है
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August 12, 2018
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