हद से पार जाकर, जो निभाया है दोस्ती का रिश्ता तुमने | Love Shayari


हद से पार जाकर, जो निभाया है दोस्ती का रिश्ता तुमने
मेरा दिल, मेरा इश्क़, मेरी रूह को महकाया है इससे तुमने

नाम के रिश्तों से कोई रिश्ता नहीं, जो है मेरा तुम्हारा
सभी रिश्तों की रूह बस्ती है इसमें, जो है मेरा तुम्हारा

दोस्त बस यही नाम रखा है इसका, जो है रिश्ता हमारा
खुशबू गुंधी लाखों गुलाबों की इसमें, जो है रिश्ता हमारा

कहने को, एक बिस्तर, एक छत, एक आँगन, नहीं है हमारा
दूर रह साँसों में बसकर, नसीब बना है यह आसमान हमारा

तेरे दिए इन पंखों से, उड़ती रही हूँ और रहूंगी मैं हमेशा
तेरे मेरे उन सुनहरी सपनों की, राहें चुनती रहूंगी मैं हमेशा

ना रह के भी पास मेरे, सांसें महका मेरी, जीता है तूँ मुझमें
जिस्म ना मिले तो क्या, मेरी रूह में बस, जीता है तूँ मुझमें 

काजल आँखों का मेरी, हमारी दोस्ती की नज़र उतारता है
दिल मेरा पल पल, हर सजदे में इस रिश्ते को संवारता है

उम्र गुज़ार, ले आई, मुकाम-ए-इश्क़ पर ज़िंदगी मुझको
यूई तेरी ही चाहतों में, जीना है अब तो हर जनम मुझको 
हद से पार जाकर, जो निभाया है दोस्ती का रिश्ता तुमने | Love Shayari   हद से पार जाकर, जो निभाया है दोस्ती का रिश्ता तुमने | Love Shayari Reviewed by Admin on May 21, 2019 Rating: 5

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